उत्तराखंड

सीएम धामी के सभी DM को निर्देश, इस साल भीषण गर्मी के आसार, पेयजल किल्लत से निपटने को रहें तैयार

सीएम ने कहा कि उन्होंने कहा कि स्कूलों, पंचायतों और सोशल मीडिया के माध्यम से जल बचाने का संदेश फैलाया जाए।  

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस साल अत्यधिक गर्मी के आसार हैं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को पेयजल किल्लत वाले स्थानों को चिह्नित कर इससे निपटने की कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री शुक्रवार को राज्य सचिवालय में ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल आपूर्ति के संबंध में सभी जिलाधिकारियों के साथ वीसी के माध्यम से समीक्षा बैठक ले रहे थे।

उन्होंने राज्य के हर गांव और शहर में पाइपलाइन के माध्यम से पेयजल पहुंचाने की योजना में तेजी लाने, न्यूनतम समय में ट्यूबवेल को रिप्लेस करने, फायर हाइड्रेंट को सुचारू रखने, कैचमेंट एरिया में वनीकरण और चेक डैम बनाने, सारा के साथ समन्वय बनाकर स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने, जल संवर्धन की नीति तैयार करने तथा दूरस्थ क्षेत्रों में सोलर पंप का प्रयोग कर जलापूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि स्कूलों, पंचायतों और सोशल मीडिया के माध्यम से जल बचाने का संदेश फैलाया जाए। गर्मियों में फॉरेस्ट फायर की घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए जंगलों में पेयजल योजनाओं से वाल्व बनाए जाएं जिससे आग को तत्काल बुझाया जा सकें। बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन समेत शासन के कई अधिकारी भी मौजूद थे।

टोल फ्री नंबर हर हाल में चालू रहे, सघन चैकिंग अभियान चले
सीएम पेयजल के टोल फ्री नंबर को हर हाल में चालू रखने के निर्देश दिए। कहा कि टोल फ्री नंबर में दर्ज शिकायतों का समय से निपटारा हो। पानी का दुरुपयोग न हो इसके लिए सघन जांच अभियान भी चलाया जाए। उन्होंने पानी की लीकेज को चिह्नित कर तत्काल मरम्मत करने के लिए बफर सामग्री एवं श्रमिकों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कहा कि मोटर पंप, विद्युत उपकरण एवं पाइप स्पेयरस, के खराब होने पर उन्हें तुरंत सही किया जाए एवं जल की शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखा जाए।

टैंकरों पर लगाएं जीपीएस सिस्टम, प्राइवेट टैंकरों के लिए पानी दरें तय हों
उन्होंने कहा कि टैंकरों की निगरानी एवं प्रभावी व्यवस्था के लिए टैंकरों पर जीपीएस इनेबल सिस्टम की व्यवस्था हो एवं प्राइवेट टैंकरों के लिए पानी की दरें भी निर्धारित की जाएं। बरसात के जल को रोककर छोटे डैम और बैराज बनाए जाएं। इससे बरसात का पानी बर्बाद होने से बचेगा और गर्मियों के सीजन में जल का सदुपयोग हो पाएगा। इसके लिए सभी डीएम तीन सप्ताह के भीतर अपने जिलों के स्थलों को चिह्नित कर प्रस्ताव उपलब्ध कराएंगे।

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