
कैंची धाम इस वक्त देश-दुनिया के नक्शे पर अपनी अलग जगह बना चुका है। यहां उमड़ रहे श्रद्धालुओं की संख्या यह बताने के लिए काफी है। लेकिन यहां लगने वाले जाम से सभी परेशान है। ऐसे में वर्तमान संसाधनों के अगर कुछ कसरत की जाए तो जाम से समाधान हो सकता है।
कैंची धाम की लोकप्रियता दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ रही है। धाम में हर रोज उमड़ने वाला आस्था का सैलाब जिले के पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों पर जाम का कारण बन रहा है। सुबह से शाम तक कैंची की ओर जाने-आने वाली सड़कों पर वाहन रेंगते हैं। अधिकारी दौरे पर दौरे कर रहे हैं। मंत्री, सांसद और विधायकों को इससे कोई मतलब नहीं है। जाम की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में यदि सरकार और जिम्मेदार विभाग कुछ विकल्पों पर काम करें तो समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। फिर न श्रद्धालुओं को दिक्कतें होंगी और न ही स्थानीय लोगों को। हर कोई आसानी से धाम तक पहुंच सकेगा और सड़कों पर जाम भी नहीं लगेगा।
1- नैनीबैंड-सेनिटोरियम बाईपास बने तो भवाली में नहीं लगेगा जाम
भवाली के नैनीबैंड से सेनिटोरियम तक बाईपास का निर्माण कार्य पूरा न होने से जाम की समस्या हल नहीं हो रही है। लोनिवि की ओर से 5.5 किमी सड़क पर डामरीकरण अभी तक नहीं किया गया है। इस कारण बाईपास पर वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हुई है। इस बाईपास के चालू होने से नैनीताल, भीमताल, अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़, बागेश्वर और हल्द्वानी की ओर आने और जाने के लिए वाहनों को भवाली बाजार से आवाजाही नहीं करनी पड़ेगी। इससे भवाली बाजार में जाम नहीं लगेगा।
2- सेनिटोरियम-रातीघाट बाईपास से पहाड़ के यात्रियों को मिलेगी राहत
सेनिटोरियम से रातीघाट तक 19 किमी बाईपास निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से कैंची धाम में जाम की समस्या बनी हुई है। लोनिवि सेनिटोरियम से दूनीखाल तक आठ किमी सड़क बना चुका है। अब रातीघाट तक का 11 किमी. हिस्से के निर्माण के लिए वन मंत्रालय से स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। जनप्रतिनिधि और अधिकारी वन मंत्रालय से अनुमति दिला दें तो काम शुरू हो जाए। इस बाईपास के पूरा बनने से पहाड़ के विभिन्न शहरों को जाने और वहां से आने वाले वाहनों को कैंची धाम होते हुए भवाली से नहीं गुजरना होगा। इससे कैंची धाम में जाम नहीं लगेगा।
3- हरतपा-रातीघाट मोटर मार्ग भी बना सकता है मददगार
हरतपा-रातीघाट मोटर मार्ग बना हुआ है। इसका उपयोग भी वाहनों की आवाजाही के लिए होता है। लेकिन इस सड़क के कुछ स्थानों पर तकनीकी खामी होने के कारण इसका सही से उपयोग नहीं हो पा रहा है। यदि सरकार इसमें आड़े आ रही तकनीकी खामियों को हल करा दे तो यह सड़क भी अन्य सड़कों को जाम से निजात दिला सकती है। हरतपा-रातीघाट मार्ग से गुजरने वाले वाहनों को कैंची होते हुए नहीं जाना होगा, बल्कि हरतपा से होते हुए भवाली की ओर आसानी से निकल जाएंगे।
4- शिप्रा नदी पर पुल निर्माण जल्द हो तो मिलेगा लाभ
भवाली-अल्मोड़ा हाईवे पर शिप्रा नदी पर बनाए जा रहे पुल का निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है। यह पुल श्मशान घाट के करीब निर्मित हो रहा है। इसके बनने से मुख्य सड़क से गुजरने वाले वाहन भवाली बाजार में पहुंचने से पहले ही सेनिटोरियम की ओर रूख करते हुए वहां से हल्द्वानी अथवा नैनीताल की ओर रवाना हो जाएंगे। इससे भी भवाली बाजार क्षेत्र और आसपास जाम से निजात मिलेगी।
5- वाहनों को भीमताल से डायवर्ट कर रोक सकते हैं जाम
मैदानी क्षेत्रों से अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ की ओर जाने-आने वाले वाहनों की आवाजाही यदि भीमताल के समीप विनायक से घोड़ाखाल की ओर करा दी जाए तो इससे खुटानी से लेकर भवाली तक जाम नहीं लगेगा। यात्री भवाली जाए बगैर घोड़ाखाल व श्यामखेत होते हुए रामगढ़, नथुवाखान मार्ग से अल्मोड़ा को निकल सकते हैं। इसके लिए लगभग चार किलोमीटर लंबी विनायक-घोड़ाखाल रोड में डामरीकरण कर सड़क सुरक्षा के कार्य कराने होंगे।
6- सलड़ी से चनौती जाएं वाहन तो भीमताल में दबाव हो कम
हल्द्वानी से नौकुचियाताल की ओर जाने वाले वाहनों को यदि सलड़ी से हरिनगर, खैरोला, खड़की और चनौती होते हुए निकाला जाए तो इससे भीमताल में वाहनों का दबाव कम होगा। यात्री वाहन भीमताल पहुंचे बगैर सलड़ी से सीधे नौकुचियाताल की ओर पहुंच जाएंगे। अभी तक हरिनगर-चनौती रोड पूरी नहीं बनी है। छह किलोमीटर सड़क निर्माण को हाल ही में मंजूरी मिली है, जबकि तीन किलोमीटर सड़क निर्माण का प्रस्ताव शासन में लंबित है।
सेनिटोरियम से रातीघाट तक 19 किमी बाईपास का निर्माण कार्य होना है। आठ किमी तक डामरीकरण हो गया है। दूनीखाल से रातीघाट तक सड़क निर्माण के संबंध में वन विभाग को पत्र भेजा है। जल्द अनुमति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। बाईपास और पुल निर्माण कार्य पर पर करीब 45 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सुझाए गए विकल्पों पर भी उच्चाधिकारियों से रायशुमारी कर काम किया जाएगा।
भवाली से लेकर कैंची धाम के नजदीक तक निर्माणाधीन बाईपास की सड़क के निर्माण में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। बाईपास से जुड़े कुछ प्रकरण वन मंत्रालय और शासन में विचाराधीन हैं। कैंची धाम और उसके आसपास की सड़कों पर यातायात व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। सुझाए गए विकल्पों पर भी काम किया जाएगा