उत्तराखंड

भगवान विष्णु के छठवें अवतार…यहां दर्शन के बाद हुआ था क्रोध, फिर मिला सौम्यकाशी नाम

भगवान परशुराम का मंदिर बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर उनकी पूजा विष्णु जी की पाषाण रूप में की जाती है। यह मूर्ति आठवीं और नवीं सदी की है।

उत्तरकाशी। उत्तराखंड का एक मात्र विष्णु के छठवें अवतार परशुराम जी का एकमात्र मंदिर जनपद में मौजूद है। पुराणों के अनुसार उत्तरकाशी में ही बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद उनका क्रोध शांत हुआ था। तब भगवान शिव ने परशुराम को आशीवार्द दिया था कि अब इसे सौम्यकाशी के नाम से भी जाना जाएगा।

उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय में परशुराम का मंदिर बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर उनकी पूजा विष्णु जी की पाषाण रूप में की जाती है। वहीं यह मूर्ति आठवीं और नवीं सदी की है। वहीं इस मूर्ति और अयोध्या में स्थित राम जी की मूर्ति में कई समानताएं हैं।

मंदिर के पुजारी शैलेंद्र नौटियाल का कहना है कि स्कंद पुराण के केदारखंड में परशुराम जी और उनके पूरा परिवार का उत्तरकाशी के साथ संबंध का विवरण है।

जनपद मुख्यालय से करीब 15 किमी की दूरी पर उनकी माता रेणुका देवी का मंदिर स्थित है।

वहीं बड़कोट क्षेत्र के थान गांव में उनके पिता जमदिग्नी महाराज का मंदिर विराजमान है। नौटियाल का कहना है कि यह भी मान्यताएं हैं कि वरूणावत के शीर्ष पर मौजूद विमलेश्वर महादेव मंदिर में आज भी परशुराम जी शिव की पूजा करते हैं।

वहीं बाबा काशी विश्वनाथ के आशीवार्द से ही उनका क्रोध भी उत्तरकाशी की भूमि पर शांत हुआ था। इसलिए इसे सौम्यकाशी भी कहा जाता है।

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