उत्तराखंड

भारी बारिश के बाद जलस्तर बढ़ने से प्राणमति नदी पर बनी अस्थायी पुलिया बही, पांच गांवों का संपर्क कटा

वर्ष 2024 में यहां दस बार पुलिया बही। तब विभाग ने यहां ट्राॅली भी लगाई लेकिन वह भी कुछ दिन में बह गई। उसके बाद से नदी में पानी कम होने के बाद यहां अस्थायी पुलिया के सहारे ग्रामीण आवागमन कर रहे थे।शुक्रवार को हुई भारी बारिश से जलस्तर बढ़ने से प्राणमति नदी पर बनी लकड़ी की अस्थायी पुलिया बह गई। पुलिया बहने से 5 गांवों सूना, थराली गांव, पैनगढ़, देवलग्वाड़ और सुनाऊं गांव की पांच हजार से अधिक की आबादी का संपर्क तहसील और ब्लाक मुख्यालय से कट गया है। अब तीस से अधिक व्यापारी और सैकड़ों ग्रामीणों को आवागमन के लिए पहले आठ किमी कुलसारी और फिर सात किमी पैदल चलकर सूना और थराली गांव पहुंचना पड़ेगा।ग्रामीण कुंवर सिंह, खीमानंद, राकेश देवराड़ी, नंदा बल्लभ, पार्षद दिवाकर सिंह और मोहन पंत ने इसे शासन-प्रशासन की उपेक्षा बताया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पिछले दो साल से यहां बैलीब्रिज और मोटर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन न तो शासन-प्रशासन और न ही लोनिवि इसे गंभीरता से लिया।बताया कि वर्ष 2018 में प्राणमति नदी में उफान में थराली में एक मोटर पुल और एक झूला पुल बह गया था और पांच गांव की पांच हजार से अधिक की आबादी का संपर्क टूट गया था।उसके बाद से ग्रामीण यहां हर बरसात के बाद हर साल लकड़ी की अस्थायी पुलिया बनाकर आवाजाही करते हैं। हालांकि यहां वर्ष 2023 में विभाग ने बैली ब्रिज बनाया लेकिन इसकी ऊंचाई नदी तल से बहुत कम थी जिस कारण यह बैली ब्रिज बनते ही बह गया। वर्ष 2024 में यहां दस बार पुलिया बही। तब विभाग ने यहां ट्राॅली भी लगाई लेकिन वह भी कुछ दिन में बह गई।उसके बाद से नदी में पानी कम होने के बाद यहां अस्थायी पुलिया के सहारे ग्रामीण आवागमन कर रहे थे। वहीं एसडीएम पंकज भट्ट ने बताया कि कुछ ग्रामीणों के विरोध के कारण यहां प्रस्तावित बैली ब्रिज का निर्माण नहीं हो पा रहा है। अब आपदा एक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी गई है।

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