
हर्षिल स्थित सेना कैंप के एक घायल जवान ने आपदा की भयावहता बयां की। जवान ने बताया कि अचानक भागो-भागो का शोर सुनाई दिया। फिर 15 फीट ऊंचा सैलाब आया और सब बहा ले गया। उत्तरकाशी के हर्षिल के सेना कैंप के एक घायल जवान शिवांश ने आपदा की भयावहता बताते हुए कहा, हम दिनचर्या के अनुसार काम कर रहे थे कि तभी ‘भागो-भागों का शोर सुनाई दिया। लेकिन जब तक हम कुछ समझ पाते, तब तक करीब 15 फीट ऊंचा पानी का सैलबा और मलबा सब बहा ले गया।जवान ने बताया कि वे खुद को 600 मीटर आगे एक अधबेहोशी की हालत में पाए, जहां उनके साथी जवान उन्हें बचा रहे थे। जवान के अनुसार, इससे पहले उन्हें धराली में आपदा की सूचना मिली थी, लेकिन उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनके कैंप के पास बहने वाला तेलगाड अचानक इस तरह उफान पर आ जाएगा।उन्होंने बताया कि अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने तेलगाड को कभी इस तरह उफान पर नहीं देखा था। यह मंजर बेहद भयानक था। इस सैलाब में उनके 21 जवान बह गए।इस आपदा में हर्षिल के सेना कैंप को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें सैनिकों के साथ उनके बैरक और अन्य संपत्तियां भी बह गई। बुधवार को 11 घायल सैनिकों को मातली हेलीपैड पहुंचाया गया। इनमें से कुछ को जिला अस्पताल और बाकी को हायर सेंटर रेफर किया गया। अभी भी 10 सैनिक लापता हैं। धराली गांव में आपदा को डेढ़ दिन से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन वहां रहने वाले लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। परिजन की जानकारी पाने के लिए ग्रामीण लगातार आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम और जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर भी अपने लापता लोगों को ढूंढने की गुहार लगाई।धराली और छोलमी गांव के मनोज नेगी, दिनेश रावत, सतेंद्र नेगी और संजय पंवार ने बताया कि आपदा के बाद से उनका अपने परिजनों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। क्षेत्र में नेटवर्क न होने के कारण वे अनिश्चितता की स्थिति में हैं।उन्होंने बताया कि आपदा वाले दिन गांव में मेला था और नवयुवक मंगल दल की बैठक भी थी, लेकिन किसी भी सदस्य से उनका संपर्क नहीं हो पाया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से बिजली और नेटवर्क बहाल करने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर मुख्यालय लौटे, तो गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान की अगुवाई में धराली के ग्रामीणों ने उनसे मुलाकात की। अपने लापता परिजनों की बात करते हुए ग्रामीण फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने बताया कि इस हादसे में एक पूरा परिवार भी लापता है। धराली गांव और हर्षिल स्थित सेना के कैंप में आए मलबे के दूसरे दिन बुधवार को तेजी से जिंदगी की तलाश शुरू हो गई है। सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें हेलिकॉप्टर से खोज और बचाव कार्य में जुटी रहीं। इस दौरान दो शव मिले, जिससे अब मृतकों की संख्या छह हो गई है। वहीं, हर्षिल में मलबे में फंसे 11 जवानों समेत 13 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है।जिला प्रशासन के अनुसार सेना के दो घायल जवानों को हेलिकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया है। धराली के आठ स्थानीय युवक, नेपाली मूल के दो व्यक्ति और सेना के 10 जवान समेत 20 लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है। वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं जिनका कहना है कि उनका अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है, ऐसे में आशंका है कि यह संख्या और बढ़ सकती है।उत्तरकाशी के धराली में सैलाब आने के बाद बुधवार दोपहर मौसम खुलने पर बचाव अभियान ने जोर पकड़ा। धराली में आई आपदा के दूसरे दिन भी रास्ते भूस्खलन की वजह से जगह-जगह बंद थे। जिससे बचाव और राहत कार्य में बाधा आई। भटवाड़ी स्थित हेलीपैड से दो हेलीकॉप्टरों के माध्यम से राहत सामग्री, खाद्य सामग्री और बचाव उपकरण धराली क्षेत्र में पहुंचाए गए। सेना के हेलीकॉप्टर से बचाव कार्य संबंधी भारी मशीनरी पहुंचाई जा रही है।वहीं, समाचार एजेसियों के अनुसार, अब तक 190 लोगों को बचाया गया है। जबकि ऐसा भी बताया जा रहा है कि कर्नाटक-महाराष्ट्र के 64 और केरल के 28 लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है।बता दें कि मंगलवार को हर्षिल घाटी में तीन जगह बादल फटने से आए सैलाब व मलबे की वजह से धराली गांव में कई होटल-रेस्टोरेंट जमींदोज हो गए थे।