
स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा को मंच देने व कला के क्षेत्र में चाह रखने वालों के लिए राज्य की पहली आर्ट गैलरी वर्तमान में शोपीस बनकर रह गई है। घंटाघर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा कांप्लेक्स स्थित उत्तरा समकालीन कला संग्रहालय में ना तो कला विशेषज्ञ है और ना ही लेखा-जोखा रखने की बेहतर व्यवस्था। स्थिति यह है कि दो कर्मचारियों के भरोसे कला संग्रहालय संचालित हो रहा है।
संस्कृति विभाग की उदासीनता व प्रचार प्रसार ना होने से आठ महीने में मात्र 52 लोग ही यहां दीदार कर चुके हैं। हैरत की बात है कि विभागीय अधिकारी भी इसको और बेहतर करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
एमडीडीए की ओर से निर्मित उत्तरा समकालीन कला संग्राहलय का चार अक्टूबर वर्ष 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकार्पण किया था। इसके बाद इसे आमजन के लिए खोल दिया गया। 408 वर्ग मीटर में तकरीबन पौने पांच करोड़ की लागत से बना कला संग्राहलय के भूतल पर संग्रहालय जबकि ऊपरी तल प्रदर्शनी व अन्य कार्यक्रमों के लिए आरक्षित है।
पेटिंग्स व इसके रखरखाव से लेकर प्रदर्शनी के आयोजन का ज्ञान आर्ट विशेषज्ञ को होता है। कैनवास विभिन्न कपड़ों से तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा गैलरी में आने वालों को चित्रकार की पेटिंग के भावों का अर्थ व अन्य जानकारी सामानय व्यक्ति नहीं दे सकता। लेकिन यहां पर विशेषज्ञ नही हैं। मात्र दो कर्मचारी ही पूरा कार्य कर रहे हैं। इसमें एक रिशेप्सनिस्ट तो दूसरा सहायक कर्मचारी के रूप में है। कर्मचारियों के मुताबिक, अबतक यहां 15 से 16 कला प्रदर्शनी ही लग पाई हैं।