उत्तराखंड में अब पूरे साल पर्यटन उद्योग का पहिया घूमेगा। तीर्थाटन के सााथ ही एडवेंचर और ईको टूरिज्म में राज्य देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। पर्वतमाला, वाईब्रेंट विलेज और मानसखंड मंदिर माला मिशन से आने वाले समय में पर्यटन को पंख लगने की उम्मीद है।
क्षेत्र में हिमाचल और जम्मू-कश्मीर को टक्कर देने के लिए उत्तराखंड में संभावनाएं बेशुमार है। अभी तक उत्तराखंड चारधाम यात्रा के चलते धार्मिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। यात्रा सीजन के दौरान ही पर्यटन से जुड़ा कारोबार चलता है, लेकिन अब सरकार का प्रदेश में पूरे साल पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर, ईको टूरिज्म पर फोकस किया है। नए स्थानों पर पर्यटक सुविधाओं के लिए अवस्थापना विकास करने की योजना है।
केदारनाथ, बदरीनाथ धाम की तर्ज पर कुमाऊं मंडल के ऐतिहासिक मंदिरों में अवस्थापना विकास के लिए मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना शुरू की गई है, जिसमें 48 मंदिरों को शामिल किया गाय। पहले चरण में 16 मंदिरों की डीपीआर बनाई जा रही। इसमें अल्मोड़ा के जागेश्वर महादेव, गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर कटारमल, कसारदेवी मंदिर, नंदादेवी मंदिर, पिथौरागढ़ के पाताल भुवनेश्वर, हाट कालिका मंदिर, बागेश्वर के बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, चंपावत के पाताल रुद्रेश्वर गुफा, पूर्णागिरी मंदिर, देवीधुरा बाराही देवी मंदिर, बालेश्वर मंदिर, नैनीताल के नैनादेवी, कैंची धाम, ऊधमसिंह नगर के चैती बाल सुंदरी मंदिर शामिल हैं।