उत्तराखंड

Shardiya Navratri 2023: बंगाल से नौकरी के लिए आए थे दून, छुट्टी नहीं मिली तो यहीं शुरू की दुर्गा पूजा

दुर्गा बाड़ी में पिछले 68 वर्ष से दुर्गा पूजा की जा रही है। बंगाल के लोगों ने ही यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी। करीब 50 साल पहले यहां मां दुर्गा पूजा के लिए मंदिर भी बनाया गया। दुर्गा बाड़ी के सचिव रमेश सिंह मोदक ने बताया कि 1956 में ओएनजीसी में नौकरी के लिए कलकत्ता से 15 लोग आए थे, लेकिन उन्हें दुर्गा पूृजा में जाने के लिए छुट्टी नहीं मिली।

तब उन्होंने दून में ही बिंदाल पुल स्थित टैगोर विला में दुर्गा पूजा की शुरुआत की। इसके बाद 1972 में एक जमीन खरीदकर यहां मंदिर बनाया गया। इसके बाद से ही दुर्गा बाड़ी में दुर्गा पूजा की जा रही है। इसके लिए सजावट से लेकर प्रयोग होने वाली सामग्री को भी बंगाल से ही मंगाया जाता है। मां दुर्गा की प्रतिमा को बंगाली कारीगर ही सजाते हैं। बताया कि प्रतिमा में प्रयोग होने वाली मिट्टी को भी बंगाल से ही लाया जाता है।

सचिव रमेश सिंह मोदक ने बताया कि इस बार दुर्गा पूजा में 3000 साल पुरानी मां दुर्गा की प्रतिमा को देखकर उसके आधार पर माता की प्रतिमा और पंडाल को सजाया गया है।

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