इस साल सीयूईटी से अन्य कोर्स में भी दाखिले हुए थे, जिसमें सीट भरनी मुश्किल हो गई थी। इस पर यूजीसी ने एक एसओपी जारी की थी, जिसमें कहा था कि पहले सीयूईटी से दाखिले होंगे।
गढ़वाल विवि से संबद्ध 25 निजी बीएड कॉलेज की करीब 50 प्रतिशत सीट खाली रह गई हैं। कॉलेज संचालकों का कहना है कि सीयूईटी से दाखिलों के बीच इन खाली सीट पर अब यूजीसी के पत्र के तहत मेरिट से प्रवेश की अनुमति दी जाए।
गढ़वाल विवि से करीब 25 बीएड कॉलेज संबद्ध हैं। इनमें पहले विवि के स्तर से होने वाली प्रवेश परीक्षा से एडमिशन होते थे। सीयूईटी आने के बाद यहां इसके स्कोर से दाखिले होने लगे। इस साल सीयूईटी से अन्य कोर्स में भी दाखिले हुए थे, जिसमें सीट भरनी मुश्किल हो गई थी। इस पर यूजीसी ने एक एसओपी जारी की थी, जिसमें कहा था कि पहले सीयूईटी से दाखिले होंगे।
इसके बाद खाली सीट के लिए या तो विवि के स्तर से प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी या फिर पिछली पास परीक्षा के अंकों की मेरिट के आधार पर पारदर्शी तरीके से दाखिले होंगे। अब विवि से संबद्ध बीएड कॉलेज में भी सीयूईटी से दाखिले के बावजूद करीब 50 फीसदी सीट खाली रह गई हैं।
सीट खाली रहना संसाधनों की बर्बादी
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष और ऑल इंडिया अनएडेड विवि व महाविद्याल एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने मांग की है कि अन्य कोर्स की भांति यहां भी ग्रेजुएशन के अंकों की मेरिट से दाखिले किए जाएं।
उन्होंने इस बाबत गढ़वाल विवि प्रशासन को ज्ञापन भेजा है। कहा, यूजीसी ने अपने पत्र में ये भी कहा कि सीट खाली रहना संसाधनों की बर्बादी है। उन्होंने कहा, एनसीटीई के नियमों में भी प्रवेश परीक्षा के अलावा अन्य विकल्प उपलब्ध हैं। कहा, प्रोफेशनल कोर्स जैसे एलएलबी में मेरिट से दाखिलों का विकल्प खुला है। इसी तरह छात्रहित में बीएड में भी ये राहत दी जाए।