रानीपोखरी के नागाघेर में हत्यारे महेश की नौ साल की बेटी अन्नपूर्णा उर्फ बिट्टू ने उससे बचने की पूरी कोशिश की। मदद की आस में बिट्टू ने पड़ोसी सुबोध जायसवाल और उनकी पत्नी को आवाज लगाई। बिट्टू लगातार अंकल-आंटी मुझे मेरे पापा से बचाओ आवाज लगाती रही। आनन-फानन में पड़ोसी सुबोध जयसवाल दीवार कूदकर अंदर पहुंचे। लेकिन तब तक मासूम बिट्टू की आवाज खामोश हो चुकी थी।
रानीपोखरी के नागाघेर हुए नृशंस हत्याकांड की कहानी सुन लोगों की रूह कांप उठी। पहली बार तो लोगों को यकीन हुआ कि एक व्यक्ति इतने निर्मम तरीके से अपने परिवार पांच सदस्यों को कैसे मार सकता है। वारदात के दौरान हत्यारे बाप से बचने की सबसे अधिक कोशिश उसकी नौ वर्षीय बेटी अन्नपूर्णा उर्फ बिट्टू ने की। पत्नी, दो बेटियों और बुजुर्ग मां को मारने के बाद महेश अन्नपूर्णा की ओर चाकू लेकर दौड़ा।
अन्नपूर्णा तेजी के साथ कमरे के पिछली ओर बनी खिड़की पर आकर पड़ोसियों को आवाज लगाकर बोली अंकल-आंटी मुझे मेरे पापा से बचाओ। बिट्टू की आवाज सुन पड़ोसी सुबोध जायसवाल बाहर आए। उन्होंने जब खिड़की से देखा तो बिट्टू फर्श पर पड़ी थी और महेश उसपर चाकू से हमला करने के लिए काबू पाने की कोशिश कर रहा था।
सुबोध ने बताया अंदर का नजारा देख वह पहले महेश के घर के मेन गेट पर आए। यहां गेट के बाहर ताले लगे थे। इसके बाद वह भागकर अपने घर पर गए और पिछली ओर से दीवार फांदकर अंदर दाखिल हुए। सुबोध ने बताया जब वह अंदर पहुंचे तो घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। महेश छोटी बेटी का भी गला रेतकर जान ले चुका है। सुबोध ने बताया महेश परिवार को मौत के घाट उतारने के बाद शांत खड़ा था। जब पुलिसकर्मी अंदर आए तो उसने चाकू भी नीचे फेंक दिया और हाथ खड़े कर लिए। संवाद