उत्तराखंड

पैर फिसलने से अलकनंदा नदी में बहा तीर्थयात्री, तीर्थपुरोहितों ने जान पर खेलकर बचाया

ओडिशा से आया एक श्रद्धालु नदी में स्नान करने के लिए माधव घाट में गया। नहाते समय यात्री का पैर फिसल गया और वह नदी के तेज बहाव में बहने लगा।

बदरीनाथ धाम में एक श्रद्धालु पैर फिसलने से अलकनंदा नदी में बह गया। गनीमत रही कि वहां पर मौजूद तीर्थ पुरोहितों ने गमछे के सहारे यात्री को बचा लिया, जिससे बड़ा हादसा होने से बच गया। वहीं तीर्थपुरोहित अलकनंदा किनारे सुरक्षा इंतजाम किए जाने की कपाट खुलने के दिन से ही मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने जल्द समस्या हल नहीं होने पर अब आंदोलन की चेतावनी दी है।

मंगलवार सुबह करीब दस बजे ओडिशा से आया एक श्रद्धालु नदी में स्नान करने के लिए माधव घाट में गया। नहाते समय यात्री का पैर फिसल गया और वह नदी के तेज बहाव में बहने लगा। इस दौरान वहां पर मौजूद तीर्थ पुरोहित पंकज ध्यानी और अशोक टोडरिया ने यात्री को बहता देख लिया। उन्होंने बिना देर किए गमछे को यात्री की तरफ फेंका, जिसे यात्री ने पकड़ लिया।

दोनों तीर्थ पुरोहितों ने यात्री को गमछे के सहारे नदी से बाहर खींच लिया, जिससे यात्री की जान बच गई। यात्री को उन्होंने अस्पताल पहुंचाया। सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। नदी में बहने वाले युवक ने बताया कि वह नदी किनारे नहाने गया। अचानक पैर फिसलकर वह काफी दूर तक बह गया था, लेकिन बदरीविशाल की कृपा से तीर्थपुरोहित देवदूत बनकर आए, जिनकी वजह से जान बच गई।

वहीं, बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी किनारे बने घाटों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। अमर उजाला ने हाल ही में इस खबर को प्रमुखता से उठाया था। श्रद्धालु अक्सर नदी किनारे नहाने जाते हैं। ऐसे में घाटों पर हर समय हादसे का अंदेशा बना रहता है। प्रशासन ने इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है।

चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव डॉ. बृजेश सती का कहना है कि उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। यदि जल्द इस पर कोई उचित कदम नहीं उठाए गए, तो वे आंदोलन करेंगे।

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