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देहरादून :- गरिमा दसोनी जी ने उद्यान घोटाले पर भी सरकार को आढ़े हाथों लिया

गरिमा दसोनी जी ने उद्यान घोटाले पर भी सरकार को आढ़े हाथों लिया, गरिमा दसोनी जी ने कहा कि एक ऐसी कंपनी अर्निका ट्रेडर्स जिसका अक्टूबर 2022 तक कोई अस्तित्व ही नहीं था उसका इतिहास और अनुभव जांचे बिना 5 जनवरी 2023 को उद्यान विभाग द्वारा उसे लाइसेंस दे दिया जाता है ।नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों की बंदर बांट कर दी गई। हिमाचल की तर्ज पर बागवानी को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को शुरू तो किया गया परंतु मानक पूरे ना होने के बावजूद ,न सिर्फ सप्लाई के काम का लाइसेंस बल्कि महंगी दरों पर पौंधा खरीद में भी विभागीय संलिप्तता पूरी तरह से रही है
₹150 का पौधा ₹400 में खरीदा गया, बिना किसी नियम के कंपनी को लाभान्वित किया गया, गरिमा दसौनी ने कहा कि विभागीय मंत्री अब कितना ही भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया और जीरो टॉलरेंस की बात करें परंतु हकीकत यह है कि इस पूरे घोटाले में मंत्री की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है। उच्च न्यायालय के सख्त रवैया के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया गया विभाग लगातार सीबीआई जांच से बचता रहा और उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी।दसौनी ने कहा कि गणेश जोशी बताएं यदि वह भ्रष्टाचार पर नकेल कसना चाहते थे और आरोपियों को सजा दिलवाना चाहते थे तो सीबीआई जांच न होने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का जोर क्यों लगाया? दसौनी ने कहा की सुप्रीम कोर्ट में उद्यान विभाग ने मुंह की खाई और विभाग की एसएलपी को खारिज कर दिया गया, देहरादून की ही एक महिला उद्यान अधिकारी के द्वारा उत्तरकाशी के एक नर्सरी संचालक अनिल रावत को 3 करोड़ 28 लाख की पेमेंट बिना विभागीय निदेशक की अनुमति से कर दी गई। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कभी सेब महोत्सव के नाम पर तो कभी मशरूम कभी दाल और मसलों के महोत्सव आयोजित कराए गए जिसमें कुल खर्च जहां 22 से 23 करोड़ होना चाहिए था वही खर्चा 67से 68 करोड़ दिखा कर विभाग को चूना लगाया गया। उन्हीं दिनों बावेजा के घर पर 10 लाख रुपए और दफ्तर में 14 लाख रुपए का सौंदर्यकरण किया गया।सवाल ये उठता है कि इतने बड़े घोटाले का पर्दा फाश होने के बावजूद सरकार के हाथ आखिर किसने बांध रखे हैं?
और तो और इसी उद्यान घोटाले में रानीखेत विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल का नाम भी प्रमुखता से आया है जिसपर कोई कार्यवाही होते नहीं दिख रही।

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