अयोध्या में हो रही लगातार बारिश से राम मंदिर निर्माण का काम बाधित हुआ है। कई स्थानों में जलभराव और कीचड़ से निर्माण कार्य में समस्या आ रही है।
रामनगरी में तीन दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश का असर राम मंदिर के निर्माण कार्य पर भी पड़ रहा है। बारिश की वजह से निर्माण कार्य बाधित हो गया है। लगातार बारिश की वजह से राम जन्मभूमि परिसर में भी कई स्थानों पर जलभराव व कीचड़ जैसे हालात बन गए हैं। कीचड़ में कई मशीनें फंस गई हैं, जिससे निर्माण कार्य बाधित हुआ है।
राममंदिर निर्माण का कार्य इसी साल दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि अन्य प्रकल्पों का काम मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। राममंदिर में अभी मंदिर के प्रथम व दूसरे तल का निर्माण चल रहा है। प्रथम तल की फर्श का काम लगभग पूरा हो चुका है। जबकि दूसरे तल के स्तंभ अभी जोड़े जा रहे हैं। दूसरे तल का करीब 70 फीसदी काम अब तक पूरा हुआ है। परिसर में 800 मीटर लंबा परकोटा भी बन रहा है। परकोटे में छह मंदिरों का भी निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा परिसर में सप्त मंडपम की भी स्थापना की जा रही है। जिसमें श्रीराम के समकालीन सात ऋषियों के मंदिर बन रहे हैं। बारिश के साथ ये सभी काम प्रभावित हुए हैं।
बारिश के कारण राम जन्मभूमि परिसर के पश्चिमी छोर पर निर्माण कार्य में लगी मशीनें फंस गई हैं। परिसर से पानी निकालने का प्रयास किया जा रहा है। बारिश की वजह से निर्माण स्थल पर मजदूरों और कारीगरों को पत्थर ले जाने और काम करने में परेशानी हो रही है, जिसकी वजह से कुछ काम रोक दिया गया है। मंदिर के दूसरी मंजिल का काम भी बारिश की वजह से प्रभावित हुआ है। राममंदिर के ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र ने बताया कि हालात सामान्य होने के बाद निर्माण कार्य की गति भी पहले की तरह हो जाएगी। मंदिर निर्माण की गति फिलहाल संतोषजनक है।
जगह-जगह जलभराव, डेंगू के कहर का डर
पहली ही बरसात में जगह-जगह हुए जलभराव से अब लोगों को डेंगू के डंक का डर सताने लगा है। आशंका है कि यदि प्रशासन ने जलनिकासी को लेकर ठोस रणनीति नहीं बनाई तो इस बार डेंगू से पार पाना आसान नहीं होगा। पिछली बार डेंगू के कहर से कराह चुके लोगों में इसे लेकर चिंता बढ़ने लगी है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी अभी से संभावनाओं को देखते हुए सक्रिय हो गया है।
बीते वर्ष जिले में हो रहे निर्माण कार्यों की वजह से हर जगह गंदगी, मलबे आदि का ढेर लगा था। हर तरफ सड़कों की खोदाई आदि से गड्ढे भी हो गए थे। निर्माण कार्यों के दौरान नालियां क्षतिग्रस्त हुईं तो बारिश का पानी भी नहीं निकल सका। कई मोहल्लों में जमा बरसात के पानी से पूरा जिला संक्रामक रोगों की चपेट में आ गया।
एक समय में तो सभी सरकारी व निजी अस्पताल डेंगू, मलेरिया आदि के रोगियों से ही पटे थे। 2022 की तुलना में डेंगू रोगियों की संख्या लगभग दोगुना बढ़कर 1002 हो गई। जबकि चार साल में पहली बार चिकनगुनिया के भी सात मामले पाए गए। निर्माण कार्य पूर्ण हुए तो इस बार बेहतरी की उम्मीद थी, लेकिन पहली बारिश में ही जगह-जगह हुए जलभराव से संक्रामक रोगों के प्रसार को लेकर चिंता सताने लगी है।