उत्तराखंड

संतान सुख चाहते हैं तो बदल डालिए अपनी जीवनशैली, इन बातों का रखें ख्याल; चंडीगढ़ पीजीआई में चल रहा शोध

पीजीआई के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. शालिनी ने बताया कि लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन पर शोध चल रहा है। इसके शुरुआती परिणाम काफी अच्छे हैं। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि युवा वर्ग इसका पालन कर बांझपन जैसी समस्या से बच सकता है।

खान-पान और रहन-सहन में बदलाव कर बांझपन जैसी स्थिति से खुद को बचाया जा सकता है। यह महिला और पुरुष दोनों पर समान रूप से लागू हो रहा है। इस बढ़ते मर्ज पर काबू पाने के लिए पीजीआई के विशेषज्ञ दवाओं के साथ जीवन शैली में बदलाव कर दंपतियों को संतान सुख दिला रहे हैं। बांझपन की बढ़ती शिकायत को देखते हुए पीजीआई का स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग फिजियोथैरेपी और आहार विज्ञान के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें संतान सुख से वंचित दंपतियों पर लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन थैरेपी का उपयोग कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा रहे हैं। 

पीजीआई के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. शालिनी ने बताया कि लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन पर शोध चल रहा है। इसके शुरुआती परिणाम काफी अच्छे हैं। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि युवा वर्ग इसका पालन कर बांझपन जैसी समस्या से बच सकता है। प्रो. शालिनी का कहना है कि महिलाओं के साथ पुरुषाें में भी बांझपन तेजी से बढ़ रहा है। अगर पीजीआई की बात करें तो पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों से इसकी पुष्टि हो रही है इसलिए इस समस्या को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। वहीं, अच्छी बात यह है कि जरा सा बदलाव कर बचा जा सकता है। 

इन बातों का रखें ख्याल

  • पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।
  • स्मोकिंग और शराब के सेवन से बचें।
  • नियमित एक्सरसाइज और योग का अभ्यास करें।
  • शरीर के वजन को सामान्य बनाए रखें।
  • चिंता, तनाव, अवसाद और अनिद्रा जैसी समस्याओं का प्रबंधन करें।
  • अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
  • जंक, प्रोसेस्ड, मीठे, पैकेज्ड फूड्स और कैफीन युक्त ड्रिंक्स जैसे सोडा, एनर्जी ड्रिंक, चाय-कॉफी के सेवन कम करें। 

बांझपन : पीजीआई में मामले
वर्ष        पुरुष    महिला
2023    1433    1359
2022    1425    809
2021    956    229

पीजीआई जगा रहा उम्मीद
प्रो. शालिनी ने बताया कि संस्थान में लगभग 18 साल से इनफर्टिलिटी क्लीनिक संचालित है। यहां ओपीडी में प्रतिदिन 90 से 100 मरीजों को परामर्श दिया जा रहा है। इसमें महिला-पुरुष का अनुपात 30 और 70 का है। प्रो. शालिनी ने बताया कि पीजीआई में आईवीएफ पर कुल 70 से 80 हजार रुपये का खर्च आ रहा है। इसमें 40 हजार रुपये फीस है। 

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