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अपनों से मिला घाव..गैरों को दिए जख्म, मां के बर्ताव से नफरत; बीवी की बेवफाई से बना हिंसक

बरेली के शाही और शीशगढ़ थाना क्षेत्र में 14 माह में एक के बाद एक 11 महिलाओं की हत्या का खुलासा पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया था। एक सनकी पुलिस तंत्र को लगातार छकाता रहा और वारदात-दर-वारदात करता गया। उस तक पहुंचने के लिए पुलिस ने तकनीक का भी सहारा लिया, पर सफलता नहीं मिली। दरअसल, वह मोबाइल फोन इस्तेमाल ही नहीं करता था। 

अंततः मुखबिर तंत्र काम आया। कातिल बेनकाब हुआ और छह वारदातें भी कबूलीं। बरेली। सीरियल किलर कुलदीप मानसिक रूप से विक्षिप्त है। वह एक शरीर में कई रूप लिए घूम रहा था। बचपन से ही उसके मन में महिलाओं को लेकर नफरत भर गई थी। निर्जन स्थान पर खास आयु वर्ग की महिलाओं से यह छेड़खानी व दुष्कर्म की कोशिश करता था। विरोध पर उन्हीं के कपड़ों से उनकी हत्या कर निकल जाता था।

अंततः मुखबिर तंत्र काम आया। कातिल बेनकाब हुआ और छह वारदातें भी कबूलीं। बरेली। सीरियल किलर कुलदीप मानसिक रूप से विक्षिप्त है। वह एक शरीर में कई रूप लिए घूम रहा था। बचपन से ही उसके मन में महिलाओं को लेकर नफरत भर गई थी। निर्जन स्थान पर खास आयु वर्ग की महिलाओं से यह छेड़खानी व दुष्कर्म की कोशिश करता था। विरोध पर उन्हीं के कपड़ों से उनकी हत्या कर निकल जाता था।

दूसरी पत्नी के कहने पर उसके पिता अक्सर पहली पत्नी (कुलदीप की मां) की पिटाई करते थे। उसकी दूसरी मां की उम्र 50 साल के करीब है। इसलिए वह 45 से 65 साल की उम्र की महिलाओं में अपनी सौतेली मां का अक्स देखकर उनसे नफरत करता था। यह अलग बात है कि वह सौतेली मां से काफी खौफ खाता है और कभी उन पर हमला नहीं कर सका। 

छह साल पहले छोड़ गई थी पत्नी
कुलदीप की शादी वर्ष 2014 में भानपुर गांव निवासी लोंगश्री से हुई थी। पुलिस ने उसकी पत्नी से भी बात की। वह वर्ष 2018 में उसे छोड़कर चली गई थी। पत्नी के मुताबिक यह सामान्य व्यवहार नहीं करता था। उनके मुताबिक काम न होने पर वह हिंसक हो जाता था और पत्नी को बुरी तरह पीटता था। चार साल तक उसकी हरकतें झेलने के बाद पत्नी ने उसे छोड़ दिया। 

सूखे नशे ने बनाया खानाबदोश
पुलिस ने क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मनोवैज्ञानिकों को राय लेकर विवेचना को आगे बढ़ाया। तब सामने आया कि डेढ़ साल से उसने नवाबगंज में अपने पर को लगभग छोड़ रखा था। शाही के पास दो गांवों में उसकी बहनें और तीसरे में एक और रिश्तेदार रहते हैं। वह अधिकतर समय इन्हीं गांवों की रिश्तेदारियों में रहता था। कई वजहों से वह कुंठित होकर भांग, सुल्फा आदि का इस्तेमाल करने लगा था।

आईजी ने गठित की टीम तो सहमा था हत्यारोपी
घटनाएं होने के वक्त से लेकर अब तक रेंज में डॉ. राकेश सिंह आईजी हैं। तीन महिलाओं की हत्या के बाद ही उन्हें लगा था कि यह घटनाएं किसी एक ही शख्स का काम हैं। आईजी ने अधिकारियों को तलब कर पुलिस व एसओजी की 22 टीमें गठित कीं। गांवों की खाक छानी, सैकड़ों लोगों के बयान दर्ज किए गए। तब नतीजा तो नहीं निकला, लेकिन हत्याएं थम गई थीं।

खुलासे के बाद जब पुलिस ने आरोपी को खेतों से लेकर बस्ती तक घुमाया तो कुछ दुकानदारों ने उसे पहचान लिया। एक दुकानदार से उसने उन दिनों कहा था कि पुलिस उसके पीछे लगी है। हालांकि, दुकानदार ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। आईजी ने बताया कि जिन मामलों का खुलासा हो चुका है, उनकी भी समीक्षा की जाएगी।

दो कप्तान नहीं खोल सके अनुराग आर्य को मिली सफलता
शाही इलाके में वारदातें शुरू हुईं तो जिले में बतौर एसएसपी प्रभाकर चौधरी व एसपी देहात के रूप में राजकुमार अग्रवाल तैनात थे। काफी प्रयास के बाद भी प्रभाकर चौधरी के कार्यकाल में खुलासा नहीं हो सका। इसके बाद घुले सुशील चंद्रभान जिले में कप्तान के रूप में आए। उनके 11 माह के कार्यकाल में भी कई घटनाएं व कुछ खुलासे हुए।

इस बीच उनका भी तबादला हो गया। अब अनुराग आर्य के कार्यकाल में यह खुलासा हो सका है। उन्होंने खुलासा करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले चारों सिपाहियों को 25 हजार रुपये इनाम की घोषणा की।

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