कार्यशाला में विशेषज्ञों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि उत्तराखंड में इस साल भी मानसून में बारिश कहीं कम, कहीं ज्यादा रही। हालांकि हर मौसमी घटना को बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस तरह की चरम मौसमी परिस्थितियां प्रदेश में क्लाईमेट चेंज की ओर स्पष्ट इशारा कर रही हैं। उत्तराखंड में इस साल अभी तक 1227.2 मिलीमीटर बारिश हुई है जो कि सामान्य मानसूनी बारिश 1137 मिमी से आठ प्रतिशत ही अधिक है। भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी के अनुसार लंबी अवधि में $/-19ः बारिश को सामान्य ही माना जाता है। इसके बावजूद बीते कई बरसों की तरह चरम मौसमी गतिविधियां देखने को मिली हैं। उत्तराखंड के क्षेत्रों में असमान बारिश का कहर जारी है। मानसून के ताजा आंकड़ों के अनुसार बागेश्वर जिले में इसकी सामान्य बारिश की तुलना में तीन गुना अधिक पानी बरस चुका है और यह जिला 213 प्रतिशत अधिक बारिश झेल चुका है। इसके बाद चमोली है जहां 73 प्रतिशत अधिक पानी बरसा है। दूसरी तरफ, पौड़ी गढ़वाल जिला 39 प्रतिशत तक बारिश की कमी का सामना कर रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार बागेश्वर जिले में इसकी सामान्य बारिश की तुलना में तीन गुना अधिक पानी बरस चुका है और यह जिला 213 प्रतिशत अधिक बारिश झेल चुका है। इसके बाद चमोली है जहां 73 प्रतिशत अधिक पानी बरसा है। दूसरी तरफ, पौड़ी गढ़वाल जिला 39 प्रतिशत तक बारिश की कमी का सामना कर रहा है। चरम मौसम की घटनाओं की तीव्रता और संख्या का क्लाईमेट चेंज के कारण बढ़ रहे तापमान से सीधा संबंध है। कम वर्षा वाले ऊंचे क्षेत्रों में भी अब खूब पानी बरस रहा है। बताया जा रहा है कि इस साल उत्तराखंड में भारी से बहुत भारी बारिश के कारण 1500 से अधिक भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। भूवैज्ञानिकों के अनुसार ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों की जियोमार्फाेलाजिकल परिस्थितियां भारी बारिश के लिए काफी संवेदनशील हैं। उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला देश में सबसे अधिक भूस्खलन झेलने वाला जिला है और यहां कुल जनसंख्या, कामकाजी जनसंख्या, शिक्षा का स्तर और घरों की संख्या भी इसी तरह अधिक है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के डाटा के अनुसार 1988 से 2023 के बीच उत्तराखंड में भूस्खलन की 12,319 घटनाएं हुई। बीते कुछ वर्ष में इस तरह की घटनाओं की संख्या बढ़ी है। आंकड़े बताते हैं कि 2018 में प्रदेश में भूस्खलन की 216 घटनाएं हुई थी जबकि 2023 में यह संख्या पांच गुना बढ़कर 1100 पहुंच गई। 2022 की तुलना में भी 2023 में करीब साढ़े चार गुना की वृद्धि भूस्खलन की घटनाओं में देखी गई है।
रिपोर्टर: लक्ष्मण प्रकाश