
उत्तराखंड लोक विरासत का चौथा संस्करण आगामी 14-15 दिसम्बर को हरिद्वार बाईपास रोड स्थित सोशल बलूनी स्कूल में होना है। हर साल की तरह इस बार भी इस विरासत में पहाड़ की संस्कृति को सामने रखा जाना है। पहाड़ के कलाकारों की ओर से इस बार भी लोक विरासत में पहाड़ी वेशभूषा में फैशन शो का आयोजन किया जायेगा। ये जानकारी पत्रकारों को उत्तराखंड लोक विरासत ट्रस्ट के अध्यक्ष और चारधाम अस्पताल के एमडी डॉक्टर केपी जोशी ने दी।
बुधवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारवार्ता में डॉक्टर जोशी ने बताया कि उत्तराखंड लोक विरासत पिछले तीन साल से राज्य की संस्कृति को बड़ाने का काम कर रही है। इस बार होने वाले आयोजन का चौथा साल है। बताया कि अब ये उत्तराखंड का सबसे बड़ा और प्रमुख लोक सांस्कृतिक कार्यकम बन गया है। जिसमें राज्य के जिलों व उनके गांवों तक का प्रतिनिधित्व हो रहा है। डॉक्टर केपी जोशी ने बताया कि हमारे पास उत्तराखंड की सबसे बड़ी सांस्कृतिक टीम है। जिसमें गढ़ गौरव नरेन्द्र सिंह नेगी जी एवं पदमश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण प्रमुख संरक्षक है। राज्य के इन कलाकारों के आलावा भी इस बार उत्तराखंड लोक विरासत में ये कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति का स्वरूप जिनको आपने अबतक नहीं देखा, इस कार्यक्रम में आपको देखने को मिलेगा। इस दौरान डॉक्टर जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड लोक विरासत एक गैरलाभकारी पंजीकृत संस्था है। जो उत्त्तराखण्ड की संस्कृति के बचाव प्रचार-प्रसार का काम करती है। यह संस्था पहाड़ के सांस्कृतिक कलाकार और हस्तशिल्पियों को राजधानी का मंत्र प्रदान करती है। साथ ही राज्य के पारम्परिक परिधान एवं आभूषणों का प्रदर्शन के आलावा उनका सारा खर्च वहन करती है। वही। आर्थिक सहायता प्रदान करती है। गरीब व सामाजिक रूप से अक्षम कलाकारो को हर प्रकार की सहायता प्रदान करती है।
उत्तराखंड लोक विरासत का ये है उद्देश्य
गांव स्तर की प्रतिमा की खोज एवं आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को राजधानी का मंत्र देना।
पहाड़ के लोकगीत, वाद्य यंत्र, लोकनृत्यों का प्रदर्शन, भूले बिसरे गीत संगीत और नृत्यों का प्रदर्शन।
नई पीढ़ी को उत्तखण्ड की संरकृति के बारे में बताना। वहीं नये कलाकारों का सृजन करना।
गांव स्तर होनहारों का चयन कर राज्य स्तर पर प्लेटफार्म देना।
पहाड़ से पलायन रोकना और बेरोजगारों को रोजगार देना।
कालाविदों को प्रत्येक गांव में एक निश्चित धनराशि सरकार से तय कराना।
अनाथ कलाविदों और सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को गोद लेना।
रिपोर्टर: लक्ष्मण प्रकाश