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देहरादून:-कांग्रेस पार्टी में केदारनाथ उपचुनाव के लिए पर्यवेक्षकों की ओर से प्रत्याशियों के पैनल दिल्ली भेजे

कांग्रेस पार्टी में केदारनाथ उपचुनाव के लिए पर्यवेक्षकों की ओर से प्रत्याशियों के पैनल दिल्ली भेजे जाने पर घमासान मच गया है।दरअसल पर्यवेक्षकों ने केदारनाथ उपचुनाव के प्रत्याशियों के नामों का पैनल तैयार कर उसे प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बजाय सीधे दिल्ली भेज दिया है। जिसके बाद पार्टी में घमासान मच गया है। कांग्रेस सीट्स नेतृत्व ने केदारनाथ उपचुनाव को लेकर चार पर्यवेक्षक नामित किए थे, इनमें मुख्य पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल ने प्रत्याशियों के नामों का पैनल सीधे प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को भेज दिया है। इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने आपत्ति जताई है, वही केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में टिकट के अन्य दावेदारों ने भी पर्यवेक्षकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पर्यवेक्षकों की ओर से सीधे देहरादून की जगह दिल्ली रिपोर्ट भेजे जाने पर पार्टी में घमासान की स्थिति उत्पन्न हो गई है, पार्टी की प्रदेश प्रभारी को नाम के पैनल के बारे में क्या रिपोर्ट भेजी गई है इसका पता करन माहरा को भी नहीं लगा। इस पूरे मामले मे करन माहरा का कहना कहना है कि इस मामले पर दिल्ली में होने वाली बैठक में बातचीत होगी, उन्होंने कहा कि पार्टी की हमेशा परंपरा रही है कि पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपते हैं, उसके बाद पीसीसी उस रिपोर्ट में रिकमेंड लेटर लगाकर केंद्रीय नेतृत्व को भेजती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी ने कुछ सोच कर रिपोर्ट सीधे मंगाई होगी क्योंकि केदारनाथ उपचुनाव टेक्निकल चुनाव है, इसी को देखते हुए कुमारी शैलजा ने यह निर्णय लिया होगा।
बाईट -करन माहरा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष
इधर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और केदारनाथ विधानसभा सीट से दावेदार शीशपाल सिंह बिष्ट ने भी पर्यवेक्षकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि उपचुनाव को लेकर उन्होंने और 12 अन्य लोगों ने दावेदारी जताई है। लेकिन उपचुनाव के लिए भेजे गए पर्यवेक्षकों ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नही बरती, और पक्षपात पूर्ण तरीके से प्रत्याशी चयन के लिए निष्पक्ष तरीके को दरकिनार कर दिया। शीशपाल बिष्ट का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी को विश्वास में लिए बगैर जिस मनमाने तरीके से पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हुई थी वह एक गलती थी और इसी गलती की वजह से पक्षपात की आशंकाएं आकार लेने लगी थी जो अब सच होती दिखाई दे रही है। प्रत्याशी चैन में अगर पर्यवेक्षकों को अपनी ही मनमानी करनी थी तो फिर अन्य लोगों से आवेदन क्यों करवाए गए और उनसे निर्धारित शुल्क क्यों जमा करवाया गया यह अपने आप में बड़ा विषय है।

रिपोर्टर : लक्ष्मण प्रकाश

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