उत्तराखंड

30 मी दूर आकर गिरे मजदूर, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई हादसे की भयावहता की कहानी

दिन भर के हारे थके चार मजदूर घर को लौट रहे थे कि इसी बीच अंधेरी राह में पीछे से आई मौत ने उन पर झपट्टा मार दिया। इससे पहले कि कोई उन्हें वहां से उठाता सिस्टम के इस घुप अंधेरे में उनके जीवन की लौ बुझ चुकी थी। हादसे की भयावहता की कहानी प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस के सामने बयां की। लोगों का कहना था कि उन्हें यहां बम फटने के जैसी आवाज आई। पल भर में देखा तो यहां पर तीन चार लोग पड़े हुए थे। कार की रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस जगह कार ने टक्कर मारी वहां से मजदूर करीब 30 मीटर दूर आकर गिरे। जिस जगह मजदूर आकर गिरे वहां की नींव (एक फिट ऊंची दीवार) भी टूट गई। हादसे के वक्त कार की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल जिस जगह हादसा हुआ वहां पर अस्पताल के पास कई मकान हैं। मकान में रहने वाले लोग उस वक्त आसपास ही खड़े हुए थे। इनमें कोई अपने आंगन में मौजूद था और कोई बाहर टहल रहा था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि वह गली में टहल रहे थे। इसी बीच जोर के धमाके की आवाज आई तो वह सड़क किनारे आए।इतने में में ही देखा कि वहां पर कुछ लोग अचेत हालत में पड़े थे। पास में ही एक स्कूटर गिरा था और दो लोग कराह रहे थे। सभी को उत्तरांचल आयुर्वेद हॉस्पिटल में ले कर गए। लेकिन वहां से उन्हें दून अस्पताल भेज दिया गया। वहां चार को मृत घोषित किया गया। जबकि दो घायलों का इलाज चल रहा है। 

कार के टूटे टुकड़ों से हुई ब्रांड की पहचान काफी देर रही गफलत
मौके पर काफी देर तक यही गफलत रही कि गाड़ी कौनसी थी। कुछ देर बाद ही पता चला कि पुलिस ने एक चंडीगढ़ नंबर होंडा सिटी को रोका है। इससे कहा जाने  लगा कि गाड़ी होंडा सिटी थी। लेकिन कुछ देर बाद मर्सिडीज का लोगो पड़ा मिला तो बताया गया कि यह मर्सडीज है। थोड़ी ही देर बाद वहां पर कार की विंडो बिडिंग से भी पता चला कि कार मर्सडीज बेंज ही थी।  कार का रंग काला या डार्क ग्रे बताया जा रहा है।   

पूरे शहर में शुरू हुई चेकिंग, आईजी पहुंचे मौके पर

हादसे के बाद पुलिस ने हर नाके पर चेकिंग शुरू कर दी गई। मौके पर आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप पहुंचे और उन्होंने अधिकारियों को कार तलाशने के दिशा निर्देश जारी किए।  मसूरी रोड से लेकर मालदेवता क्षेत्र में भी चिकन शुरू कर दी गई।

दिन भर के थके-हारे थे चार
दिन भर के थके चार मजदूर घर को लौट रहे थे कि इसी बीच अंधेरी राह में पीछे से आई मौत ने उन पर झपट्टा मार दिया। इससे पहले कि कोई उन्हें वहां से उठाता सिस्टम के इस घुप अंधेरे में उनके जीवन की लौ बुझ चुकी थी। 

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