जौलीग्रांट स्थित एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर का बन पाएगा या नहीं यह संभाव्यता (फिजिबिलिटी) रिपोर्ट से तय होगा। प्रदेश सरकार ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से जल्द फिजिबिलिटी सर्वे करने का अनुरोध किया है। अपर सचिव नागरिक उड्डयन व यूकाडा के सीईओ ने इसकी पुष्टि की है। पहले से संचालित हो रहे एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए सरकार इसके विस्तारीकरण की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए एयरपोर्ट के आसपास करीब 28 एकड़ भूमि की आवश्यकता है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की योजना पूरी तरह से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर निर्भर है। सरकार के अनुरोध पर प्राधिकरण की एक टीम जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण और उसके अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरने की संभावनाओं का अध्ययन करेगी। अभी प्राधिकरण की ओर से राज्य सरकार को सर्वे के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है लेकिन सरकार यह उम्मीद कर रही है कि अगले एक महीने में प्राधिकरण की टीम देहरादून आ सकती है।
एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए इसके रनवे विस्तार के लिए 6.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। इसके अलावा एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 21.5 एकड़ भूमि भी होनी जरूरी है। योजना में राजस्व भूमि के अलावा और वन भूमि के अधिग्रहण होना है। वन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।