
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए ऐसा ओजस्वी और भावनात्मक बयान दिया जिसने हर देशवासी के दिल में राष्ट्रभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित कर दी। उन्होंने कहा,
“मां भारती का सेवक मोदी यहां सीना तानकर खड़ा है। मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है। लेकिन मोदी का लहू गरम होता है। और अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं, गरम सिंदूर बह रहा है।”
प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य केवल भाषण का हिस्सा नहीं, बल्कि उनके भीतर बसे देशप्रेम और समर्पण का जीवंत प्रमाण है। यह कथन उस आत्मविश्वास और निडरता का प्रतीक है, जिसके साथ उन्होंने देश की सेवा और सुरक्षा का संकल्प लिया है।
मोदी ने अपने ठंडे दिमाग और गरम लहू की तुलना से यह संदेश दिया कि भले ही निर्णय सोच-समझकर लिए जाते हैं, लेकिन देश की सुरक्षा और सम्मान के मामले में उनके अंदर एक उबलता हुआ जज़्बा है — ठीक वैसा ही जज़्बा जैसा किसी वीर सैनिक के भीतर होता है।
गरम सिंदूर की उपमा, जो आमतौर पर शक्ति, साहस और देवी की आराधना से जुड़ी होती है, उन्होंने अपने लहू से जोड़ी — यह दर्शाता है कि वह केवल नेता नहीं, बल्कि राष्ट्ररक्षक के रूप में अपने कर्तव्य को जी रहे हैं।
यह भाषण ऐसे समय में आया है जब देश कई आंतरिक और बाह्य चुनौतियों से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री का यह बयान न केवल उनके मजबूत नेतृत्व को रेखांकित करता है, बल्कि करोड़ों भारतीयों में आत्मबल और राष्ट्रभक्ति की भावना को और अधिक सशक्त करता है।
जनता की तालियों और नारों के बीच, यह स्पष्ट हो गया कि मोदी केवल प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि देश की आत्मा से जुड़े एक सेवक हैं — जो हर हाल में मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए समर्पित हैं।

रिपोर्टर ओमपाल कश्यप