उत्तराखंड

500 पन्नों की चार्जशीट, 47 की गवाही 236 साक्ष्य कोर्ट ने 160 पेज में लिखा फैसला

कुल 236 साक्ष्यों को पेश किया गया। बचाव पक्ष की ओर से भी गवाही हुई और नौ साक्ष्यों को अदालत में रखा गया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में कुल 160 पन्नों में इस फैसले को लिखा।अंकिता भंडारी हत्याकांड में करीब दो साल आठ माह तक न्यायालय में चली कार्यवाही के दौरान 47 गवाहों की गवाही कराई गई। जबकि कुल 236 साक्ष्यों को पेश किया गया। बचाव पक्ष की ओर से भी गवाही हुई और नौ साक्ष्यों को अदालत में रखा गया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में कुल 160 पन्नों में इस फैसले को लिखा।इस मामले में एसआईटी की ओर से 16 दिसंबर को कुल 500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की गई थी। इसमें उस वक्त कुल 97 गवाह बनाए गए थे। जबकि, अदालत में कुल 47 गवाहों की गवाही अभियोजन ने कराई। इसके सापेक्ष बचाव पक्ष की ओर से कुल चार गवाह ही आरोपियों के पक्ष में पेश किए। अभियोजन की ओर से मुकदमे में तहरीर, फोटो आदि कुल 130 दस्तावेजी साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए। इसके साथ ही 106 वस्तु साक्ष्यों को अदालत में दिखाया गया। जहां तक बचाव का सवाल है तो उनकी ओर से इस मामले में नौ दस्तावेजी साक्ष्य अदालत को रखकर आरोपियों की बेगुनाही साबित करनी चाही। मगर, अभियोजन की लंबी दलीलों और इन साक्ष्यों के बल पर अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी।

अदालतों की 30 से ज्यादा नजीरों को किया गया पेश
इस मुकदमे में बचाव और अभियोजन की ओर से सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट की 30 से ज्यादा नजीरों को पेश किया गया। इनमें कुछ विधि व्यवस्थाएं भी शामिल थीं। इनमें अभियोजन की ओर से 20 फैसलों को नजीर के रूप में पेश किया।

जबकि, बचाव पक्ष की ओर से ऐसी 10 से ज्यादा नजीरें और विधि व्यवस्थाओं पर विश्वास करते हुए अदालत के सामने तर्क रखे। मगर, अभियोजन की ओर से पेश की गई नजीर उनके तथ्यों को बल देती नजर आईं। जबकि, बचाव की दलीलों और नजीरों के सापेक्ष अभियोजन की ओर से दिए गए तर्क ज्यादा मजबूत पाए गए।

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