
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (आईआईआरएस) के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि आज हमारे जीवन में हर समय अंतरिक्ष डाटा का प्रयोग हो रहा है।अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अंतरिक्ष सम्मेलन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज प्रदेश के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी व अनुसंधान बेहद कारगर साबित हो रहा है।सीएम धामी ने कहा कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुसंधान तक सीमित न रहकर संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला के तिरंगा फहराने पर इसरो समेत समस्त वैज्ञानिकों को बधाई दी। चंपावत को मॉडल जिला बनाने में इसरो व यूकॉस्ट की ओर से विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया और इसरो की पुस्तक का विमोचन किया।राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (आईआईआरएस) के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि आज हमारे जीवन में हर समय अंतरिक्ष डाटा का प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष में सेटेलाइट हमें जीपीएस नेविगेशन के साथ कई तरह के अपडेट देते हैं। उत्तराखंड में हमने पशुधन का डाटा ऑनलाइन किया था।ऋषिगंगा, चमोली आपदा के दौरान हमने सेटेलाइट के माध्यम से मैपिंग की और डाटा तैयार किया। जिसका प्रयोग बाद में राष्ट्रीय नीति में भी किया गया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट में इस डाटा का इस्तेमाल किया गया। अर्थ ऑब्जर्वेशन, सेटेलाइट संवाद एवं सेटेलाइट नेविगेशन ने पूरी तरह से हमारे जीवन को बदलने का काम किया है। उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान मैपिंग, वन संरक्षण एवं वनाग्नि की मैपिंग के क्षेत्र में सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है। ग्लेशियर लेक की मॉनिटरिंग, बाढ़, बादल फटने जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान का भी काम किया जा रहा है।
साइंस सेंटर को गोद ले इसरो : मुख्य सचिव
मुख्य सचिव आंनदबर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में अंतरिक्ष तकनीक को अपनाने और इसके लिए स्थायी वैज्ञानिक अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य सचिव ने इसरो से राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कार्टोसेट के 50 सेमी या इस तरह के रिजोल्यूशन की उपलब्ध इमेजरी को रिलय टाइम व गैर व्यावसायिक आधार पर राज्य को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं वैज्ञानिक मौजूद रहे।