
प्रदेश में भारी विरोध के बीच स्थगित किए गए जिला विकास प्राधिकरणों को सरकार दोबारा सक्रिय कर सकती है। आवास विभाग ने इन्हें दोबारा जिंदा करने की सिफारिश की है ताकि मास्टर प्लान के हिसाब से मैदानी और पर्वतीय जिलों में विकास किया जा सके। इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जा सकता है।
दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार ने 13 नवंबर 2017 को सभी जिलों के स्थानीय प्राधिकरणों और नगर निकायों की विकास प्राधिकरण से संबंधित शक्तियां लेते हुए 11 जिलों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण गठित किए। हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) में हरिद्वार के क्षेत्रों को शामिल कर लिया गया था जबकि मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण(एमडीडीए) में दून घाटी विकास प्राधिकरण को निहित कर दिया गया था। बाद में इन पर विरोध होने लगा। जन प्रतिनिधियों ने भी खुलेतौर पर विरोध जताया।
तत्कालीन बागेश्वर विधायक चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित समिति ने विस को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए इन प्राधिकरणों को रद्द करने की सिफारिश की थी। बाद में तीरथ सरकार और फिर धामी सरकार ने सभी जिला विकास प्राधिकरणों को स्थगित कर दिया था।
जोशीमठ भू धंसाव के बीच जैसे ही निर्माण का मुद्दा उठा तो आवास विभाग ने जिला विकास प्राधिकरणों की जरूरत बताते हुए इन्हें दोबारा जिंदा करने की सिफारिश शासन को भेज दी है। शासन स्तर पर इन पर विचार चल रहा है। मामले में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि अभी जोशीमठ के बचाव पर फोकस है, जिला विकास प्राधिकरणों पर बाद में चर्चा होगी।