राज्य सरकार की महिला कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। उनके प्रसूति अवकाश और बाल देखभाल अवकाश की गणना सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना (एमएसीपीएस) में होगी। साथ ही उन सभी कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा जो बाह्य सेवा और बाध्य प्रतीक्षा व प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। उनकी सेवा अवधि की गणना भी एमएसीपीएस में होगी।
सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है। अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) राधा रतूड़ी ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन को पत्र लिखकर एमएसीपी की व्यवस्था में महिला कर्मचारियों के प्रसूति अवकाश और बाल्य देखभाल अवकाश की अवधि को शामिल करने का अनुरोध किया था।
उन्होंने लिखा था कि कई विभागों में कार्यरत महिला कर्मचारियों के ऐसे मामले संज्ञान में आए, उन्हें एसीपी का लाभ नहीं मिल पाया। उनके पत्र के बाद सचिव वित्त ने बुधवार को स्पष्टीकरण जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि एमएसीपी दिए जाने के लिए पांच वर्षों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि का न्यूनतम मानक उत्तम है। लेकिन इसमें बाह्य सेवा अवधि व बाध्य प्रतीक्षा अवधि तथा सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत किए गए विभिन्न प्रकार के अवकाश (असाधारण व अवैतनिक अवकाश छोड़कर) की गणना न होने से एसीपी का लाभ नहीं मिल पा रहा था। इसके किसी वर्ष में तीन माह से कम की अवधि के लिए वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि न दिए जाने की व्यवस्था में उस अवधि को भी एमएसीपी की गणना में नहीं लिया जा रहा था।
शासनादेश के मुताबिक, कर्मचारियों को अब यदि किसी वर्ष के दौरान तीन माह से कम अवधि के कार्यकाल के कारण किसी वर्ष की वार्षिक गोपनीय प्रविष्ट न लिखी गई हो तो एमएसीपी दिए जाने की तिथि से पहले के पांच वर्षों की वार्षिक प्रविष्टियों का संज्ञान लिया जाएगा। यदि उस अवधि में भी उत्तम एसीआर का मानक पूरा न हो रहा हो तो एमएसीपी की तिथि को आगे विस्तारित किया जाएगा।