जोशीमठ में प्राभावितों के पुनर्वास के लिए शासन ने पीपलकोटी में भूमि को चिह्नित किया था, लेकिन फिलहाल उस पर कदम पीछे खींच लिए हैं। इसके लिए आलवा जोतिर्मठ के विस्थापन पर भी सहमति के आधार पर फैसला लिए जाने की बात कही है। इसके अलावा ढाक गांव में प्री-फेब्रीकेटेड कॉलोनी बनाने का निर्णय लिया गया है। मॉडल भवन भी बनकर तैयार होने लगे हैं
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि सीबीआरआई और जीएसआई ने अपने सर्वे में पीपलकोटी की भूमि को उपयुक्त पाया था। लेकिन वहां कुछ व्यवहारिक दिक्कतें सामने आ रही हैं। फिलहाल पीपलकोटी को होल्ड पर रखा गया है। उद्यान विभाग और ढाक की जमीन दोनों जगह उपयुक्त पाई गई हैं।
वहीं, ज्योतिर्मठ और मठागंण (शंकराचार्य गद्दी स्थल) में भी दरारें हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो उन्हें भी शिफ्ट किया जाएगा। लेकिन यह काम मठो की सहमति और तकनीकी संस्थाओं की फाइनल रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा। मठों में आई दरारों पर नजर रखी जा रही है। यदि उनमें वृद्धि होती है और रहने के लिहाज से असुरक्षित लगे तो निश्चित तौर पर उन्हें भी शिफ्ट किया जाएगा।