उत्तराखंड में नया शिक्षा सत्र 2023-24 कल एक अप्रैल से शुरू हो रहा है, लेकिन सरकारी और अशासकीय स्कूलों के 11 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं के पास अब तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंची। सिस्टम की सुस्ती का आलम यह है कि कक्षा एक से आठवीं तक की पाठ्य पुस्तकों के लिए आज एमओयू होगा। ऐसे में छात्रों तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचने में अभी दो से तीन महीने का समय और लगेगा।
प्रदेश में 16501 सरकारी और 614 अशासकीय स्कूल हैं। नियमानुसार हर साल शिक्षा सत्र एक अप्रैल को शुरू होने से पहले सभी छात्र-छात्राओं तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकें पहुंच जानी चाहिए, लेकिन प्रदेश में मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के नाम पर सरकारी और अशासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्र-छात्राओं के साथ मजाक किया जा रहा है। यही वजह है कि एक आध वर्ष को छोड़ दें, तो राज्य गठन के बाद कभी छात्र-छात्राओं को तय समय पर पाठ्य पुस्तकें नहीं मिली, लेकिन इस बार छात्र-छात्राओं तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचना तो दूर इसके लिए अभी तय प्रक्रिया ही पूरी नहीं की जा सकी है।
राज्य में सिस्टम की सुस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। बिहार में सितंबर में यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई, उत्तर प्रदेश में ब्लॉक स्तर तक पाठ्य पुस्तकें पहुंच चुकी हैं। वहीं उत्तराखंड में सरकार कक्षा एक से 12 वीं तक के बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तक देने को बड़ी उपलब्धी के रूप में गिनाती रही है।