
देहरादून। भारतीय चिकित्सा परिषद के पूर्व अध्यक्ष की फाइल गायब होने के मामले में दो लिपिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें से एक ने पूर्व अध्यक्ष के शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी होने का दावा किया था। उधर, आरोपी लिपिक के अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि वर्तमान रजिस्ट्रार ने पूर्व अध्यक्ष का नवीनीकरण किया था। अब वह कैसे फाइल गायब होने का मुकदमा दर्ज करा रही हैं। जबकि, फाइल उनके ही अधिकार क्षेत्र में थीं। हालांकि, रजिस्ट्रार ने इन आरोपों को खारिज किया है।
चिकित्सा परिषद की रजिस्ट्रार नर्मदा गोसाईं ने नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि पूर्व अध्यक्ष डॉ. दर्शन कुमार शर्मा की रजिस्ट्रेशन संबंधी फाइल गायब है। इसके लिए विकास रावत और अंकुर माहेश्वरी जवाबदेह हैं। नेहरू कॉलोनी पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। उधर, आरोपियों के अधिवक्ता प्रशांत पाठक का कहना है कि डॉ. शर्मा का 21 जुलाई 2017 को परिषद में पंजीकरण हुआ था। डॉ. शर्मा को 21 जुलाई 2018 को चिकित्सा परिषद का अध्यक्ष बनाया गया।
उनका कार्यकाल जुलाई 2021 तक था। डॉ. शर्मा का आगे भी नवीनीकरण किया गया। जुलाई 2022 में फिर से नवीनीकरण रजिस्ट्रार नर्मदा गोसाईं ने ही किया। जाहिर है कि फाइल नर्मदा गोसाईं के अधिपत्य में थी। ऐसे में अब उनका यह कहना कि फाइल पहले से गायब थी। इस पर संदेह पैदा होता है। हालांकि, इस मामले में नर्मदा गोसाईं ने बताया कि डॉ. शर्मा की फाइल पहले से गायब थी। इसके लिए वह पहले भी पुलिस को शिकायत कर चुकी थीं। अब मामले में जांच की जा रही है तो फिर से पुलिस ने फाइल तलब की थी। फाइल नहीं मिली तो मुकदमे के लिए तहरीर दी गई।