
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन आदर्श भी है और संघर्षपूर्ण भी। जब प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का निधन हुआ तो बड़ा सवाल ये आया कि भारत की सत्ता कौन संभालेगा? उस दौर में देश का विकास चुनौती था और सत्ता पर आसीन होने के लिए कई दिग्गज कतार में खड़े थे। उस समय तक लाल बहादुर शास्त्री को भारत के पूर्व गृह मंत्री के तौर पर जाना जाता था। फिर उन्हें देश की प्रधानमंत्री का पद मिला और उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर कार्य किया।
उन्होंने देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था और आजादी के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई तक छोड़ दी। 17 साल की उम्र में पहली बार जेल गए। उनकी सादगी और जीवन से जुड़े कई किस्से काफी प्रेरणादायक हैं, लेकिन जीवन का अंत बहुत रहस्यमयी रहा। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है, किन परिस्थितियों में उनकी मौत हुई और आज तक यह रहस्य उजागर क्यों नहीं हुआ
2 अक्तूबर को महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाते हैं। हालांकि इसी दिन लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन होता है। उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्तूबर 1904 को लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। उन्हें बचपन में नन्हें कहकर पुकारा जाता था। जब शास्त्री महज डेढ़ साल के थे, तो उनके पिता का साया उठ गया। जिसके बाद उन्हें चाचा के साथ रहने भेज दिया गया। इस दौरान वह पढ़ने के लिए मीलों दूर पैदल चलकर जाया करते थे। जब शास्त्री 16 साल के थे, तो उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने का फैसला लिया और अपनी पढ़ाई छोड़ दी। 17 साल की उम्र में वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए, लेकिन नाबालिग होने के कारण आजाद हो गए।