अपने मायके गंगोत्री से महज 100 किमी की दूरी पर ही गंगा मैली हो रही है। यहां भागीरथी नदी के ठीक किनारे नगर पालिका सारे शहर का कूड़ा डंप कर रही है। यह कूड़ा सीधे नदी में गिर रहा है। गंगोत्री के बाद पड़ने वाले पहले ही शहर के कई गंदे नाले भी सीधे भागीरथी में गिर रहे हैं।
गंगा अपने मुहाने पर ही प्रदूर्षित हो रही है, इसकी चिंता न जिला प्रशासन को है और न पालिका और न गंगा स्वच्छता से जुड़ी राज्य और केंद्र की नमामि गंगे जैसी एजेंसियों को। पांच साल पहले नगर पालिका बाड़ाहाट (उत्तरकाशी) ने तांबाखाणी सुरंग से लगी सड़क के किनारे कूड़ा डंपिंग जोन बनाया था। भागीरथी इस सुरंग के और शहर के ठीक बीच में बहती है। आगे ऋषिकेश पहुंच कर यही भागीरथी नदी पवित्र गंगा के नाम से जानी जाती है।
नगर पालिका का कहना है कि शहर में कहीं भी डंपिंग जोन के लिए जगह नहीं है। यहां क्षमता से अधिक एकत्र कूड़ा अब पहाड़ का रूप ले चुका है। यह कूड़ा नीचे नदी में गिर रहा है और ऊपर हाईवे पर भी फैल रहा है। बारिश होने पर कूड़े का पानी सीधे नदी में मिल जाता है।