राज्य सरकार अब दो की जगह तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से पिरूल खरीदेगी। धामी मंत्रीमंडल की बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गई है। सरकार जंगलों को आग से बचाने और पिरूल एकत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिससे ग्रामीणों की आजीविका में बढ़ावा हो सके।
अब तक सरकार ग्रामीणों व समूहों से दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से पिरूल खरीदती है, जिसे अब बढ़ाकर तीन रुपये प्रति किलो कर दिया गया है। वनाग्नि सत्र 2023 में पिरूल का एकत्रीकरण कर व्यापक स्तर पर ब्रिकेट, पैलेट्स और अन्य प्रकार के उत्पाद बनाए जाने प्रस्तावित हैं।
अभी तक जो व्यवस्था है, उसके तहत वन विभाग की ओर से पिरूल एकत्रित करने के लिए क्षेत्रवासियों, वन पंचायत, स्वयं सहायता समूह एवं युवक मंगल दल आदि को प्रति किलो दो रुपये दिए जाते थे। इस संबंध में पांच नंवबर 2020 को शासनादेश जारी किया गया था। इस राशि का भुगतान राज्य सेक्टर या कैंपा मद में किया जाता है।